गुलदाउदी (Chrysanthemum Cultivation) की व्यावसायिक खेती-जलवायु, किस्में, कृषि क्रियाएं

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गुलदाउदी के फूल आकर्षक और मनमोहक होते हैं। गुलदाउदी का उपयोग डंडी वाले या कट फ्लावर के रूप में गुलदस्ते बनाने तथा घरों एवं कार्यालयों में सजावट के लिए गुलदान में रखने के लिए किया जाता है। इसकी विभिन्न रंगों वाली किस्में सफेद, पीली, लाल, गुलाबी आदि उपलब्ध हैं। इसे गमलों व क्यारियों में भी सजावट हेतु उगाया जाता है।

  • एक बहुवर्षीय एवं शाकीय पौधा है ।
  • गुलदाउदी का वानस्पतिक नाम डैन्ड्रन्थीमा ग्रेंडीफ्लोरा है ।
  • यह ऐस्टरेसी कुल का पौधा है।

जलवायु

गुलदाउदी की अच्छी बढ़वार व अधिक फूल प्राप्त करने के लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। अच्छी वृद्धि हेतु पर्याप्त धूप रहनी चाहिए।

तापमान

  • गुलदाउदी को उगाने के लिए दिन का 20° से 25° सेंटीग्रेड एवं रात का 15° से 20° सेंटीग्रेड तापमान उचित है।
  • पुष्प उत्पादन के लिए रात्रि का तापमान ज्यादा महत्वपूर्ण है।
  • यदि तापमान 10° सेंटीग्रेड से नीचे चला जाये तो पुष्प कलियाँ नहीं बनती हैं।

प्रकाश

  • गुलदाउदी सामान्य रूप से छोटे दिन की अवधि का पौधा है।
  • इसे पुष्प कलियों को उत्पन्न करने के लिए प्रतिदिन 9.5 घंटे से कम रोशनी चाहिए। साधारणतया छोटे दिनों वाली शरद ऋतु ही सजावटी योग्य पुष्प पैदा करने में उपयुक्त होती है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में गुलदाउदी में फूल अक्टूबर माह से तथा मैदानी क्षेत्रों में नवंबर माह से आने शुरू होते हैं।

पौधा प्रवर्धन

  • गुलदाउदी का प्रवर्धन कलमों या कटिंग एवं भूस्तारिकाओं या सकर द्वारा किया जाता है।
  • व्यावसायिक रूप से गुलदाउदी के प्रवर्धन के लिए कलमें तने के शीर्षस्थ भाग से तैयार की जाती हैं।
  • मातृ पौधों से मार्च से लेकर जून तक कलमें ले सकते हैं।
  • पत्तियों वाली 10-12 सें.मी. लम्बी कलमें अधिक अच्छी होती हैं। कलमों के शीर्ष भाग पर 2-4 पत्तियाँ छोड़ देते हैं. बाकी निचले हिस्से को पत्तियों को निकाल देते हैं।

गुलदाउदी की किस्में

स्टैन्डर्ड किस्में: स्टैण्डर्ड किस्मों में एक डंडी पर शीर्षस्थ एक बड़ा फूल

  • सफेद -पूर्णिमा, व्हाईट स्टार
  • पीली- यैलो स्टार, फिजी यैलो
  • गुलाबी- फिजी, टाटा सेंचुरी
  • केसरी- थाई चीन क्वीन

स्प्रे किस्मों: स्प्रे किस्मों में शीर्षस्थ फूल निकाल देते हैं। इस प्रकार से एक डंडी पर अनेक फूल

Yellow flower red text
  • सफेद- व्हाइट बुके, सर्फ, बीरबल साहनी बग्गी
  • पीली– अजय ननाको, कुंदन, अपराजिता लाल- रवि किरण, फ्लर्ट
  • केसरी- पूसा गुलदस्ता
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भूमि की तैयारी

  • यह सभी प्रकार की भूमि पर उगाया जा सकता है परन्तु जल निकासयुक्त बलुई दोमट मिट्टी, जिसका पी.एच मान 6.2 से 6.5 हो, उत्तम होती है।
  • भूमि को अच्छी तरह 3-4 जुताई करके पार्ट की मदद से मिट्टी समतल एवं भुरभुरी कर तैयार करनी चाहिए।
  • अंतिम जुताई के समय 5 टन सड़ी गोबर की खाद मिलाकर सिंचाई की सुविधानुसार क्यारियाँ बनानी चाहिये।

लगाने का समय

  • गुलदाउदी के पौधों को जुलाई से अगस्त महीने में लगाया जाता है।
  • पौधों को पंक्तियों में लगाया जाता है।
  • पंक्ति से पंक्ति की दूरी व एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 30-30 सेंमी. रखी जाती है।

खाद व सिंचाई

  • गुलदाउदी की खेती के लिए 5 किलो ग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद तथा 30 ग्राम प्रत्येक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम को प्रति वर्गमीटर मिट्टी में पौधे लगाने से पहले मिलाना चाहिए।
  • नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फॉस्फोरस और पोटेशियम की पूरी मात्रा पौधे लगाने से पहले मिलानी चाहिए।
  • नाइट्रोजन की बची हुई आधी मात्रा पौधे लगाने के 45 दिन बाद मिट्टी में मिलानी चाहिए।

कृषि क्रियाएं

  • गुलदाउदी के पौधों में कम से कम दो निराई-गुड़ाई आवश्यक है।
  • प्रथम गुड़ाई पौधों के रोपण के 40-45 दिन बाद तथा द्वितीय गुड़ाई 60 दिन बाद करनी चाहिए।
  • समय-समय पर खरपतवार नियंत्रण करना चाहिए।

पिचिंग

खेत में पौधे लगाने के 30 दिनों बाद पिचिंग की क्रिया की जाती है। इससे सहायक शाखाओं की वृद्धि अधिक होती है एवं पुष्प की डण्डी की संख्या भी बढ़ जाती है। पिंचिंग में पौधों की 6 से 7 पत्तियाँ छोड़कर शीर्षस्थ भाग को हाथ से नोंच कर पौधों से अलग कर देते हैं।

डीसबडिंग

इस क्रिया में अवांछित कलिकाओं को पुष्प डण्डियों से तोड़ कर अलग कर देते हैं। स्प्रे टाईप गुलदाउदी में शीर्षस्थ कलिकाओं को मटर के दाने के आकार से भी छोटी अवस्था में ही तोड़ देते हैं।

स्टैण्डर्ड गुलदाउदी में एक पुष्प डण्डी पर केवल शीर्षस्थ कलिका छोड़कर अन्य कलिकाओं को मटर के दाने के आकार की अवस्था से पहले तोड़ देते हैं।

डीशूटिंग

डीशूटिंग गुलदाउदी की स्टैण्डर्ड टाईप किस्मों में किया जाता है।

इस प्रक्रिया में एक पुष्प डण्डी पर अन्य दूसरी शाखाएँ निकलने के बाद उन शाखाओं को 2 सेंमी. लम्बी होने पर पुष्प डण्डियों से अलग कर देते हैं।

सहारा देना

पुष्प वृंत / डंठल का पूर्ण रूप से सीधा होना गुणवत्तायुक्त पुष्प डंठल की बहुत ही बड़ी विशेषता है।

गुलदाउदी की स्प्रे एवं स्टैण्डर्ड टाईप की पुष्प डण्डी की लम्बाई अधिक होने के कारण पुष्प इण्डियों को सीधा रखने के लिए प्लास्टिक की जाली का इस्तेमाल करना चाहिए।

जाली की दो से तीन परत लगानी चाहिए।

फूलों की तुड़ाई

  • गुलदाउदी की बड़ी फूल वाली किस्मों के फूल तभी काटने चाहिए जब वे पूरी तरह से खिल जाए और उनकी बाहरी पंखुड़ियां पूरी तरह से सीधी हो जाएं।
  • फूल वाली टहनी को जमीन से लगभग 10 सेमी. की ऊँचाई से काटना चाहिए।
  • काटने के बाद फूलों का निचला 5-6 सें.मी. हिस्सा साफ पानी की बाल्टी में रखना चाहिए तथा किसी ठन्डे कमरे या छायादार कमरे में 3-4 घंटे के लिए रख देना चाहिए।
  • फूलों की तुड़ाई सुबह या शाम के समय करनी चाहिए।

भण्डारण

  • फूलों को काटने व तोड़ने के बाद एक से दो घंटे के लिए छायादार कमरे में रखा जाता है।
  • गुलदाउदी को 0.5 से सेंटीग्रेड तापमान पर 10 से 15 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

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