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गन्ना【SUGARCANE】-Importence,Climate, Showing Time, Insect,Disease, Yield

Table of Contents
       गन्ना【SUGARCANE】

वानस्पतिक नाम-  सेकेरम आफिसिनेरम
कुल- ग्रेमनी
उत्पत्ति(Origin)- भारत
2n – 80
Importance
                       गन्ने का उपयोग कपड़ा बनाने में,चीनी बनाने में,एल्कोहल में वह शीरा वह शीरा शीरा बनाने में किया जाता है।
Climate
               गन्ने की फसल के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त मानी जाती है।
Varieties
               CO-527, CO-419, CO- 997,CO-449, CO-1111, CO-1007, CO66 etc
Manure & Fertilizer
1) नाइट्रोजन= 120-150kg/h
2) फास्फोरस= 50-60kg/h
3) पोटेशियम=40Kg/h
Seed Rate
                    गन्ने की अधिकतम पैदावार के लिए तीन कलिका वाले टुकड़ों की 40 से 45 हजार तक संख्या  पर्याप्त मानी जाती है ।
Seed Showing Time
1) शरद कालीन गन्ना=15 Sep-15 Oct
2) बसंत कालीन गन्ना=15 Feb- 15 March
3) वर्षा कालीन गन्ना=Jun-July
Insect
1)  दीमक- यह जमीन में रहती है तथा बोये गए गन्ने के टुकड़ों को हानि पहुंचाती है
2) जड़ बेधक-  यह जमीन में धसे हुए तने को छेद कर उसमें घुसता है व प्रभावित गन्ने की बीच की पत्तियां सूख जाती है।
3) तना बेधक-  इसको गन्ने की सुंडी भी कहते हैं भी कहते हैं इसका आक्रमण गर्मियों में होता है |
Disease
1) लाल सड़न- गन्ने का प्रमुख रोग है जो फफूंद द्वारा फैलता है गन्ने के उत्तक लाल हो जाते हैं तथा इन पर लंबी सफेद धारियां पड़ जाती है सूंघने पर शराब जैसी बू आती है
2) सुखा रोग- इसमें गन्ना सूखने लगता है तथा पौधे पीले पड़ जाते हैं इस रोग के बीजाणु 27 महीने तक जमीन में रह सकते हैं ।
3) कंडवा रोग- यह दैहिक रोग है और पोरियो द्वारा फैलता है यह लगभग सभी गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में लगता है । रोग ग्रसित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए कर नष्ट कर देना चाहिए नष्ट कर देना चाहिए
4)गेरूई रोग- इस रोग में तने पतले हो जाते हैं और ऊपर से काली पत्तियां निकलती हैं।
Yield
1) उत्तरी भारत = 80-100 ton/h
2) दक्षिण भारत= 100-120 ton/h

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