WHEAT【गेंहू】 विवरण

                 गेंहू【WHEAT】

वानस्पतिक नाम- ट्रिटिकम ऐस्टिवम
कुल- ग्रेमिनी या पोएसी
उत्पत्ति(Origin)- टर्की, मध्य एशिया
2n – 42

Table of Contents
IMPORTANCE- इसका उपयोग रोटी,डबल रोटी,बिस्कुट, सुजी, मैदा etc. में करते है।

CLIMATE- गेहूं मुख्यतः शीतोष्ण जलवायु की फसल है है इसकी वृद्धि के लिए लगभग 50 से 60% नमी की आवश्यकता होती है इसके लिए सबसे अच्छा तापमान 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड माना जाता है |

SOIL- गेहूं की खेती के लिए दोमट भूमि सर्वोत्तम मान जाती है|

Varieties- अर्जुन, सोनालिका , मेघदूत जयराज,स्वाति, सुजाता,नर्मदा,प्रताप , मालवीय12, मालवीय37 |

Seed Rate- सामान्य बुआई के लिए 100 kg/h  बीज  उपयुक्त रहता हैं ।

Manure & Fertilizer-     नाइट्रोजन= 80-120 Kg/h
फास्फोरस = 30-40Kg/h
पोटाश= 40kg/h

Disease-
1)  कंडवा रोग- यह बीज जनित फफूंद रोग है । जब पौधे में बाली आती है तो इसमें दानों के स्थान पर काला चूर्ण बन जाता है  ।
2) चूर्णी फफूंदी रोग-  यह फफूंद द्वारा लगता है इसके लक्षण पत्तियों ,बालियों, पर सफेद चूर्ण के रूप में दिखाई देते हैं।
3) झुलसा रोग-  यह रोग भी फफूंद फफूंद द्वारा लगता है इसका आक्रमण पहले निचली पत्तियों पर होता है। इसके प्रभाव से पत्तियों पर पीले भूरे रंग के छोटे-छोटे अंडाकार धब्बे बन जाते हैं।

Insect-
    1)  दीमक- यह अधिक हानिकारक होती है और जमीन में सुरंग बनाकर रहती है तथा पौधों की जड़ों को खाती रहती है ।
2) तना बेधक- यह गेहूं का मुख्य  हानिकारक कीट  है । इसका मोथ पत्तियों पर अंडे देते हैं ।  कैटरपिलर तने में घुसकर उसे काटने लगते हैं।
3) गेहूं का एफिड- जब पौधों की बालियों में दाने आते हैं तो उसके रस को चूसता  है और पत्तियों के रस को भी चूसता है इससे पौधा पीला तथा दाने हल्के हो जाते हैं।

Yield-
     उन्नत विधी से खेती करने पर 40-50 q/h उपज  प्राप्त हो जाती हैं।
       

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